वर्तमान युग में, सम्पूर्ण विश्व को एक ऐसी शिक्षा पद्धति की आवश्यकता है, जो न केवल ज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की दिशा में आगे बढ़े, बल्कि सकारात्मक संस्कारों और सुदृढ़ मानवीय मूल्यों से समृद्ध हो। हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो समय के अनुरूप हो और जो हमारे देवसंस्कृति के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सके। विद्या भारती इसी पथ पर अग्रसर है, जहां यह न केवल शैक्षिक उत्कृष्टता की ओर प्रतिबद्ध है, बल्कि आत्मिक और संस्कारिक उन्नति के लिए भी निरंतर प्रयासरत है। इसमें हमारे आदर्श आचार्यों, नीति निर्धारकों, और जागरूक अभिभावकों का अतुलनीय योगदान है, जिनके आचरण से छात्रों के सामने उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इन उदाहरणों के माध्यम से छात्रों का सर्वांगीण विकास और संस्कारित वातावरण सुनिश्चित कर रहे हैं।
हमारा संस्थान इस दिशा में एक आदर्श रूप में कार्यरत है, जो न केवल उच्चतम शैक्षिक सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि अनुशासन, चरित्र निर्माण और नैतिकता के साथ शिक्षा के प्रति एक सशक्त दृष्टिकोण विकसित करता है। समस्त आचार्य बंधु, भैया और बहिनों,के अनथक प्रयास से शताब्दी वर्ष के महायज्ञ में हम सब मिलकर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ें और अपने देश को पुनः विश्व गुरु बनाने की दिशा में कार्य करें, जिससे समाज और राष्ट्र को परम वैभव की ओर अग्रसर कर सकें।
दिनेश दूबे
प्रधानाचार्य